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Showing posts from 2015
 नरेंद्र  मोदी का इंग्लेंड दोरा 12नवम्बर को भारत के प्रधान  मंत्री इंग्लेंड के दौर पर गए ,पहले वहा के मंत्रियो,उच्च अधिकारियो एवं पूजी पतियों से बातचीत की .मोदी व् केमरोंन ने साझा प्रेस कोंफ्रेंस की और यह संदेस दिया की अब भारत का आगे का विकास इंग्लेड करेगा ,मोदी ने वहा की संसद को भी सम्बोधित  किया , जो देखने व् सुनने को मिला वह यह की हमें इंग्लेड का बड़ा आभारी रहना चाहिए की आज तक  यहाँ पहुचे है वह इंग्लेड की  ही देन है .जिन क्षेत्रो में समझोते किये  गए है ,किसी रास्त्र होने के नाते उनका क्या महत्व है ,क्या वे सवेदन सिल है जेसे रक्षा ,दूर संचार ,विधुत ,रेलवे हवाई यात्रा . उत्पादन दो तरह का है ,क्रषि और उधोग ,भारत की क्रषि पिछली सरकारों द्वारा जान बुझ  कर पिछड़ा रखी  गई कभी यह भी नही सोचा गया की यह पैदावार ही नहीं करती है बल्कि ज्यादातर देस की जनता को रोजगार  भी मुहया  कराती है .,सरकारों की निति रहि है की किसान को इतना ही देवो की  वह ज़िंदा रहे ,और उसकी ओलादों को सरकारे अपनी रक्सा  के लिए काम में लेती रहे ,अन्यथा वह ताकत वर बन गया तब विद्रोह कर देगा ,उन्ही वर्ग के कुछ को खरीद कर पूंजी
                                  दीपावली        आज दीपावली है इस पर मेरे बहुत से दोस्तों और साथियो ने शुभकामनाय दी है कइयो ने फोन पर भी बात की जेसे हमारे सामने बधाई देने के अलावा कोई काम बचा ही नही है .सुभकामना देने से पहले आपको यह सोचना आवश्यक है की क्या तुम्हारी तरह मेरे घर पर भी वही खुसी का माहोल है या नहीं.फिर भी सुभकामनाए तो स्वीकार करनी ही पड़ेगी .  हम लोग सिर्फ लीक पीटना जानते है या नकलची है ,हम किसी चीज की खोज खबर करते ही नहीं ,हमें यह पता ही नहीं है की दीपावली क्यों मनाई जाती है ,बच्चो को पढाया जाता है की इस दिन राम रावण को मार कर अयोद्या आये थे उस खुसी में दीपावली मनाई जाती है लेकिन घरो में जब पूजा होती है उसमे सिर्फ गणेस,लक्ष्मी व् सरस्वती का पाठा ही की पूजा की जाती है ,राम और हनुमान दोनों गायब है ,धर्म हमेसा ही लोगो को मानसिक गुलाम बनाने का काम करता है चाहे कोई सा भी हो , दीपावली क्यों मनाई जाती है इसकी गहराई में जाए तब सामने आता है की आदमी पशुपालन युग में जानवर की दावत करता था ,क्रषि अवस्था में फसल पक  कर खलियान निकाल कर किसान अनाज घर लाता तो वह खुसी मनाता ,अगली अव
अभिव्यक्ति पर हमले के खिलाफ साहित्यकारों की सुरुआत ====साहित्यकार समाज का दर्पण होता है ,उसकी जुमेदारी बनती है की वह आने वाले खतरे को भाप कर जनता को सावधान  करे व् जन आन्दोलन के लिए प्रेरित  भी करे .अन्यथा “कवी मार्टिन निमालकर (जर्मन कवी )ये पंक्तिया ही रह जायेगी .*पहले वे kamunisto(कमुनिस्ट ) को मारने आये , और में कुछ नहीं बोला क्योकि मै  कमुनिस्ट नहीं था . फिर वे कवियों और लेखको को मारने आये , और में कुछ नही बोला , क्योकि की में कोई कवि या लेखक नहीं था . फिर वे यहूदियों को मारने आये ,और में कुछ नही बोला , क्योकि में यहूदी नहीं था . फिर वे केथोलिको को मारने आये ,और मै कुछ नही बोला , क्योकि मै तो एक प्र्रोतैस्तैत था . फिर वे मुझे मारने  आये ,  और उस समय तक ऐसा कोई नहीं बचा था , जो मेरे पक्स में बोलता .===आपातकाल काल (१९७५ से १९७७ )की जेलों में ज्यार्जी दिमित्राफ को गभीरता से पढ़ा और उनकी यह पंक्तिया आज भी बराबर मन को कुरेदती है की “पूंजीवाद जनतंत्र के चोगे को तब तक ही धारण करता है जहा तक वह बोझ नहीं बनता अन्यथा इस लोकतंत्र रूपी चोगे को उतार कर कूड़े दान पर फेकन
बहश-------आज भारत को मानसिक गुलामी से मुक्ति की आवश्यकता है ;इसमें दो पक्ष उभर कर आमने –सामने है ,एक पक्ष भारत की जनता को मानसिक गुलाम रखना चाहता है क्युकी उनके आंका चाहते है की जनता की नजर  हमारे मुनाफे पर नहीं जाए इसलिए मिडिया,(प्रिंट,इलेट्रोनिक )व् तथाकथित बुदिजिवीयो को टुकडा डाल कर पूंछ हिलाने के लिए तेयार कर लिया गया  जिसका जुमा आरएसएस व् कंग्रिसी संगठनो को दे दिया गया ,दुसरा पक्ष अभी निंद्रा में है ,ये लोग इतने चाटुकार और बातूनी है की समस्याओं से ध्यान हटा कर गलत दिशा में बहस को ले गये की  “पशुओ के रिश्ते इंसानों से जोड़ने लग गये ,गाय रूपी पशु को माँ कहने लग गए .यह अकेली नस्ल ही माँ केसे बनी .परिवार के बिना संतानौत्प्ती नहीं होती ,फिर पुरे परिवार की जानकारी दी जानी चाहिए की बाप कोन है भाई कोन है बहन कोन है आदि ,फिर तो आदमी औरत दोनों की जरूरत ही नहीं है भारत में इतने फ़ालतू साधू ,सन्यासी एवं स्यामने फिरते है की बच्चे यही पैदा करले जिससे माँ को दस महीने की तकलीफ सहनी ही ना पड़े .गाय को आवारा बनाने में बीजेपी की मुख्य भूमिका रही है *में राजस्थान में रह रहा हु जहा पशुधन  मुख्य है ,१९७
अपनी गलती से सिखने की बात मूर्ख लोग करते है ,दुसरो के अनुभव का फायदा उठा कर ही आगे बढ़ा जा सकता है .कांग्रेस ने अंग्रेजो की अनुभव का फायदा उठा कर अर्द्धशतक तक सासन किया .बीजेपी ने अंग्रेज व् कांग्रेस दोनों के अनुभव का फायदा उठाकर आज राज में है .वामपंथी गलती पर गलती कर सिखने के नाम पर हासिये पर पहुच गयें.===गणेश बेरवाल –यूरोप के पुनर्जागरण के अनुभव से .
डिजिटल इंडिया ,क्या मोदी अर्थ शास्त्र के बुनियादी नियमो को बदल सकता है.======= आज 1-07-2015 को डिजिटल इंडिया की घोसना की ,अर्थ शास्त्र धरातल से तालुक रखता है नसेड़ी के छोड़े  हुए सगुफे की तरह काम नहीं करता ,आज हमारे देस में उपभोग सामग्री के उत्पादन पर पूर्णतया विदेशों का कब्जा है ,मोदीजी यह चाहते  है की विदेसी कम्पनिया बाहर से आयात न कर अपनी ही शर्तो पर देस में माल बना कर मेगी,कोकाकोला,पेप्सी की तरह लुटे तो अलग बात है अन्यथा हमारा डिजिटल के उत्पादन में 129वा स्थान है ,आज की ग्लोबल परतियोगिता में हम कही ठहरते ही नहीं है ,हां हमारे पास कचे माल की कोई कमी नहीं है ,दुसरा महत्वपूर्ण सवाल यह आताहै की डिजिटल आइटम वितरण में काम आते है जब हमारा सवयम का उत्पादन ही नहीं है तब वितरण केसा .जहा उपभोगता का सवाल है क्या आप के पास उसकी आमदनी बढाने की कोई योजना है ,बेरोजगारों को काम की पलानिग की है ,भारत के उपभोगता के भविष्य निर्माता मोदी ,अम्बानी ,अदानी और बिरला नहीं हो सकते ,अब भी समय है देस को दुनिया के बड़े मगर मछो के हवाले मत करो और मुंगेरी लाल के तरह दिन में सपने लेना बंध  करो ,अर्थ शास्त्र के बुनि
मोदी की मन की बात========कल फिर मोदी मन की बात कहने के बहाने अपने गले को खोला ,हालत एसी लग रही थी मानो “बिन मोसम की बरसात हो “,जनता जो सुनना चाहती थी वह नहीं था उमीद थी की क्रसन राधा  व् गोपियों के बचाव में आगे आयेगा. लेकिन एसा लग रहा था की कोप भवन  से निकल कर आया हो ,आते ही अमलची की तरह जोर से खंकार की कई बार एसा भी होता है की सामने कोई खंकारा कर देता है तब अम्ल उगता नही है सायद यही हालत थी ,उन्होंने दो बाते उठाई एक रकस्याबंधन एवं किसान .योग तो करवाया लेकिन उसके इतिहास की जानकारी नहीं दी ,यह तथ्य बताया जाता की योग वेद विरोधी  मत है और क्यों सुरु हुआ तब योग के कार्यक्रम की हवा निकाल जाती , rksyaabandhn की बात करे और इतिहास में झांके ,तब पता चलता है की भारत में कोई भी ब्राह्मन और  क्षत्रिय सम्राट नहीं बना ,इतिहास तीन को ही सम्राट मानता है 1चन्द्रगुप्त  मोर्य2अशोक और अकबर अशोक के बाद बराह्मनो और क्षत्रियों ने राखी बाँध  कर जो समझोता किया,उस पर महाभारत में लिखा है “धींगवल्म क्षत्रियबलम ब्रह्म तेजो बलम बलम  बलाबले विनिसिच्त्य तप एवं परम बलम: ;येनबद्दो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल्:तेन त्वा
दुनिया ====दुनिया अब पहले जेसी सरल नहीं  रही ,हम निर्मम पूजीवादी व्यवस्था में पहुच गए है,जहा हथियारों के सोदागरो एक जमात पैदा हो चुकी है ,जिन्हें हर समय युद्ध चाहि ए.====स्वयम की डायरी से मुद्रा एक भयंकर दानव है ,जो मानवता को कुचलते हुए आगे बढ़ता है ,इसने दो काम एक साथ किये है ,विकास और विनास .पूंजी की तीव्र भूख ने उत्पादन के साधनों में विकास करके ,मानव श्रम के बनिस्पत मशीनी श्रम को पर्मुख बना दिया ,जिससे विसाल बेरोजगारों की फोजे खड़ी  हो गई ,उनके लिए भूख आवास मुख्य समस्या है .पूंजी के मालिको के लिए पूजी की हिफाजत आवश्यक है ,यही जंग जारी है ,जिसमे अन्तोगोत्वा बहु संख्यक जीतेगे व् पूंजी के रखवाले अल्प संख्यक मारे जायेगे ,यह होना आवश्यक है पूंजी का  दलाल मध्यम  वर्ग  दो पाटो के बिच में आकर पिसा जाएगा. .====स्वयम की डायरी से
माओत्सेतुंग ===”दुश्मन आपकी सराहना कर रहा है ,इसका अर्थ है आपमें एसी कोई कमजोरी है जो दुश्मन को फायदा पहुचा रही है ,दुश्मन आपका विरोध करता है अर्थात आप नीतिगत सही है ,यदि दुश्मन हमला कर रहा है तब मान लेना आप आगे बढ़ रहे है ,हम दुश्मन के आगे चुप है तब इसके दो ही मायने होते है हम दुश्मन के जाल में फस गए है या तो निकलने की युक्ति सोच रहे है अन्यथा आत्म समर्पण की तेयारी कर रहे है “-----------नरेंद्र मोदी का चीन का दोरा ==भारत के बड़े व्यापारिक घरनो के सेठ व् उनके साठपर्तिनिधियो का दल मोदी के साथ चीन गया है मिडिया क्या कहेगा यह वेसी ही बात है जेसे आप ने टीवी खरीदा तो वह क्या प्रोग्राम दिखाएगा यह उसके मालिक पर निर्भर  है वह अपने आप कुछ भी नही दिखाता .दुनिया में दो ही तरह के उद्योग होते है १आधार भूत दुसरे उपभोग सामग्री बनाने वाले भारत उपभोग सामगिरी बनाने में अत्यंत ही पिछड़ा हुआ है और आधार भूत उद्योग की तो बात ही मत करिए यह सब विदेसियो के लिए ही है ,  उदाहरण स्वरूप उठते ही टूथ पेस्ट कोलगेट इस्टे माल करना पड़ता है नहाने के लिए कोई भी साबुन काम में लो ज्यादाटर हिन्दुस्थान लीवर ltdका इस्तमाल हो
मन की बात =========== श्रीमान अफलातून परधानमंत्री नरेंद्र मोदी,  भारत सरकार के मन में जो है वह भारत की जनता को कहने की हर समय चाह रहती है,पहले यदि हम यह देखे की मन क्या है ?डाक्टर से बात करे या बाइलोजी के प्रोफेसर से जानकारी मांगे तब पता चल जाएगा की मन नाम का कोई भी ऑर्गन किसी जीव के शरीर में नही होता है ,यह सूद  साहित्क सब्द है और साहित्य में कहा गया है की” जहा पहुचे ना रवी वहा पहुचे कवि “अर्थात जितनी मर्जी बिना आधार के झूठ बोल सकते हो ,फिर रहा सवाल की जनता सुनना चाहती की परधान मंत्री प्राक्रतिक मार के सिकार किस्सान जिसकी जिन्दगी इतनी डरावनी हो गयी की जीने से मरना जादा ठीक समझता है वह इसका समाधान सुनना चाहती  है ,श्रीमान फरमाते है की तुम यह जमीन बहुराष्ट्री व् बड़े ओद्योगिक घरानों को देदो ,हमें तो उनका ऋण चुकाना है आपने मेरे को पाच साल का पटा दे दिया अब तुम विरोध करो चाहे आत्म ह्त्या मेरी छाती छपण इंच की है ,इतने में  नेपाल में प्राक्रतिक आपदा आ पड़ती है इससे श्रीमान का मन दुखी हो जाता है और भूल जाता है की नेपाल दुसरा देस है या भारत का हिसा है ,सायद सोमरस उतार पर हो .  

बजट पर प्रतिकिरिया

आम बजट 20 15 -16 इस बजट के साथ ही तय होगया की यह सरकार किसकी सेवा करेगी ,यदि कोई अल्सेसन कुता पालता  है तब वह मालिक को काटने के लिए नही पालता,बल्कि दुश्मनों के लिए पालता है ,इस सरकार के मालिक है बहुरास्ट्रीय कम्पनिया जिसका सरगना अमेरिका है व् उसके दलाल भारतीय पूजीपति. सरकार इनके मुनाफे के लिए बनी है जो यह उमीद करते है की यह मद्यमवर्ग ,किसान ,मजदूर व् गरीब को कुछ देगे ,यह सोचना सिर्फ खवाब है ,कल तक मिडिया के भोपू चिला रहे थे बजट एसा होगा वेसा होगा लेकिन याद रखना भोपू उतनी देर बोलता है जितनी उसमे रिकार्डिंग की हुई होती है ,महगाई का रोजना छोड़ो और देस को अमेरिका के उप्निवेस बनने से बचाने का उपाय सोचो ,इन भेडियो से न्याय की उमीद मत करो 
बिजली महगी जीवन सस्ता ,यह है सता का खेल ================================= बिजली अपने आप में कुछ भी पैदा नही करती बल्कि पैदा करने की ऊर्जा स्रोत मात्र है ,जो धमनियों में रक्त पर्वाहित जेसा कार्य करती है यह सस्ती ही नही होनी चाहिए बल्कि मुफ्त होनी चाहिए .यह महगाई का खेल कब तक चलेगा ,अर्थशास्त्र यह कहता है की जिस देस में प्राक्रतिक साधनों पर कब्जा किसका है वही इस बिमारी का समाधान कर सकता है ,उदाहरण स्वरूप राजस्थान में जब बिजली बोर्ड था तब घाटा 500 करोड़ का था ,अब घाटा 75000हजार करोड़ का होगया ,कारण यह की भारत के सविधान में लिखा है की “राज्य कल्याणकारी संस्था हो गी लेकिन यह लोप है की कोन सी जनता के लिए होगी ‘जनता को दो जगह बाट दिया 1 सोषक और सोसित ,सोसको ने अपनी गुलाम सरकार को आदेस दिया की बिजली बोर्ड को तोड़ कर तीन भागो में बाट दिया जाए,उत्पादन(जनरेसन),वितरण (ट्रासमिसन )और विसू (ओ&म)एक उत्पादन करेगा ,दुसरा वितरण करेगा तीसरा बिजली खरीदेगा एवं मरमत भी देखेगा , जिससे हमारे मुनाफे पर जनता का ध्यान नही जाए , गुलाम सरकार ने कहा आप उत्पादन में आवो मनमर्जी की रेट लगावो सरकार खरीदेगी और तुम्हार