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मन की बात =========== श्रीमान अफलातून परधानमंत्री नरेंद्र मोदी,  भारत सरकार के मन में जो है वह भारत की जनता को कहने की हर समय चाह रहती है,पहले यदि हम यह देखे की मन क्या है ?डाक्टर से बात करे या बाइलोजी के प्रोफेसर से जानकारी मांगे तब पता चल जाएगा की मन नाम का कोई भी ऑर्गन किसी जीव के शरीर में नही होता है ,यह सूद  साहित्क सब्द है और साहित्य में कहा गया है की” जहा पहुचे ना रवी वहा पहुचे कवि “अर्थात जितनी मर्जी बिना आधार के झूठ बोल सकते हो ,फिर रहा सवाल की जनता सुनना चाहती की परधान मंत्री प्राक्रतिक मार के सिकार किस्सान जिसकी जिन्दगी इतनी डरावनी हो गयी की जीने से मरना जादा ठीक समझता है वह इसका समाधान सुनना चाहती  है ,श्रीमान फरमाते है की तुम यह जमीन बहुराष्ट्री व् बड़े ओद्योगिक घरानों को देदो ,हमें तो उनका ऋण चुकाना है आपने मेरे को पाच साल का पटा दे दिया अब तुम विरोध करो चाहे आत्म ह्त्या मेरी छाती छपण इंच की है ,इतने में  नेपाल में प्राक्रतिक आपदा आ पड़ती है इससे श्रीमान का मन दुखी हो जाता है और भूल जाता है की नेपाल दुसरा देस है या भारत का हिसा है ,सायद सोमरस उतार पर हो .