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बजट पर प्रतिकिरिया

आम बजट 20 15 -16 इस बजट के साथ ही तय होगया की यह सरकार किसकी सेवा करेगी ,यदि कोई अल्सेसन कुता पालता  है तब वह मालिक को काटने के लिए नही पालता,बल्कि दुश्मनों के लिए पालता है ,इस सरकार के मालिक है बहुरास्ट्रीय कम्पनिया जिसका सरगना अमेरिका है व् उसके दलाल भारतीय पूजीपति. सरकार इनके मुनाफे के लिए बनी है जो यह उमीद करते है की यह मद्यमवर्ग ,किसान ,मजदूर व् गरीब को कुछ देगे ,यह सोचना सिर्फ खवाब है ,कल तक मिडिया के भोपू चिला रहे थे बजट एसा होगा वेसा होगा लेकिन याद रखना भोपू उतनी देर बोलता है जितनी उसमे रिकार्डिंग की हुई होती है ,महगाई का रोजना छोड़ो और देस को अमेरिका के उप्निवेस बनने से बचाने का उपाय सोचो ,इन भेडियो से न्याय की उमीद मत करो 
बिजली महगी जीवन सस्ता ,यह है सता का खेल ================================= बिजली अपने आप में कुछ भी पैदा नही करती बल्कि पैदा करने की ऊर्जा स्रोत मात्र है ,जो धमनियों में रक्त पर्वाहित जेसा कार्य करती है यह सस्ती ही नही होनी चाहिए बल्कि मुफ्त होनी चाहिए .यह महगाई का खेल कब तक चलेगा ,अर्थशास्त्र यह कहता है की जिस देस में प्राक्रतिक साधनों पर कब्जा किसका है वही इस बिमारी का समाधान कर सकता है ,उदाहरण स्वरूप राजस्थान में जब बिजली बोर्ड था तब घाटा 500 करोड़ का था ,अब घाटा 75000हजार करोड़ का होगया ,कारण यह की भारत के सविधान में लिखा है की “राज्य कल्याणकारी संस्था हो गी लेकिन यह लोप है की कोन सी जनता के लिए होगी ‘जनता को दो जगह बाट दिया 1 सोषक और सोसित ,सोसको ने अपनी गुलाम सरकार को आदेस दिया की बिजली बोर्ड को तोड़ कर तीन भागो में बाट दिया जाए,उत्पादन(जनरेसन),वितरण (ट्रासमिसन )और विसू (ओ&म)एक उत्पादन करेगा ,दुसरा वितरण करेगा तीसरा बिजली खरीदेगा एवं मरमत भी देखेगा , जिससे हमारे मुनाफे पर जनता का ध्यान नही जाए , गुलाम सरकार ने कहा आप उत्पादन में आवो मनमर्जी की रेट लगावो सरकार खरीदेगी और तुम्हार