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भगतसिंह की डायरी के पन्ने

कोई दुश्मन नहीं?     तुम कहते हो ,तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं ?          अफ़सोस मेरे दोस्त ,इस शेखी में दम नहीं,   जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई में,           जिसे बहादुर लड़ते ही है उसके दुश्मन होते ही है .अगर नहीं है तुम्हारे        तो वह काम ही तुच्छ जो तुमने किया है| तुमने झूठी कसमे खाने वाले होठ से प्याला नही छिना है,       तुमने कभी किसी गलती को ठीक नहीं किया है,तुम कायर ही बने रहे लड़ाई में|      _चार्ल्स मैके,747 एक शहीद की जेल नोटबुक p384

वर्ग संघर्ष और वर्ग सहयोग

नेत्रत्व का पतन ==========         वर्ग संघर्ष और वर्ग सहयोग ,समाज में बदलाव और समाज में सुधारो में,बुनियादी अंतर को नेत्रत्व   नहीं समझ पाते तब वे आखिरी वर्ग सहयोग का हिस्सा बनकर पतन की तरफ ही जाते है .गणेश बेरवाल

स्वाधीनता दिवस

            15 अगस्त 2016 आज 70वा स्वाधीनता दिवस मनाया जा रहा है .इन वर्षो में क्या खोया और क्या पाया इस का लेखा जोखा लेना चाहिए अन्यथा फूला हुआ गुबारा कितना भी सुन्दर लगता हो ,छेद होने पर एक पिचका हुआ रबर का टुकरा मात्र रह जाता है     विकास के आंकड़े महज एक कागजी कसरत है 15 अगस्त 1947के सता हस्तांतरणके बाद भारत में आबादी बढ़ी है धनाड्य वर्ग भी बढ़ा है देश में गरीबी भूखमरी ,बेरोजगारी चरम सीमा की तरफ बढ़ रही है देस की राज सता पूर्णतया बहुरास्ट्रीय व् अंतराष्ट्रीय लुटेरों के लिए है भ्रष्टाचार इस व्यवस्था का सुविधा शुल्क है .जनता को बाटने के लिए जातिवाद,धर्म,सम्प्रदाय,साम्प्रदायिकता क्षेत्र्यता उच्च स्तर की तरफ बढ़ रही है ,अपराधी समाज को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे है भारतीय संस्क्रती का ठेका. मानसिक,आर्थिक व् लंपटो ने ले लिया है.वर्तमान शिक्षा का वास्तविक हालातो से कोई सम्बन्ध ही नहीं है .  न्यायाधीश भृष्ट  पुजारियों से आशीर्वाद लेते फिर रहे है .जबकि आशीर्वाद एक अस्तित्वहीन शब्द है .        हम विनाश की तरफ बढ़ रहे है अभी पूजी व् मानव का संघर्ष नहीं हुआ है क्युकी मध्यम वर्ग दीवार बन कर ख

होली

           होली होली की  ढेरो सुभकामनाए मिली ,दोस्तों,रिश्तेदारों और परिचितों ने मुझे भी अपनी खुशी में सामिल किया ,मेरा भी फर्ज बनता है की उनका सुक्रिया अदा करू ,    भारत को प्रक्रति की एक बहुत बड़ी देंन है की यहाँ पर सारे मोसम होते है मोसम का फसल चक्र और शारीरिक बदलाव से भी सम्बन्ध है सिंध से लेकर बिहार तक यह त्यौहार मनाया जाता है ,संचार के साधनों में परगति नहीं हुई थी उस समय तक इस त्यौहार की खुशी एक महीने तक मनाई जाती थी, ,विशेस तोर पर शेखावाटी जहा में रह्ता हु हर मौसम की राग और वाद्ययंत्र यंत्र भीं है ,जहा तक राग माला का सवाल है रामगढ शेखावाटी में रामगोपाल पोदार की छत्री पर बारह महीनो की रागनिया और वाद्ययंत्र भीती चित्रों में दर्शाए गए जो संगीत में इस इलाके की सम्रधता को दर्शाते है . होली पर गिंदर और चंग का विशेस महत्व है यदि इनके साथ मजीरे और बांसुरी की धुन को मिला दिया जाये तब आदमी अपने आप थिरकने लग जाता है ,ग्रामवासी उच्चे टीले पर आग जलाकर आग की लपटों से हवा के रुख का अनुमान लगाते है, .साथ में अनाज भी लेजाते है तथा खलियान निकालने  की पर्था को भी निभाते है ,होलिका दहन के