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होली
होली होली की ढेरो सुभकामनाए मिली ,दोस्तों,रिश्तेदारों और परिचितों ने मुझे भी अपनी खुशी में सामिल किया ,मेरा भी फर्ज बनता है की उनका सुक्रिया अदा करू , भारत को प्रक्रति की एक बहुत बड़ी देंन है की यहाँ पर सारे मोसम होते है मोसम का फसल चक्र और शारीरिक बदलाव से भी सम्बन्ध है सिंध से लेकर बिहार तक यह त्यौहार मनाया जाता है ,संचार के साधनों में परगति नहीं हुई थी उस समय तक इस त्यौहार की खुशी एक महीने तक मनाई जाती थी, ,विशेस तोर पर शेखावाटी जहा में रह्ता हु हर मौसम की राग और वाद्ययंत्र यंत्र भीं है ,जहा तक राग माला का सवाल है रामगढ शेखावाटी में रामगोपाल पोदार की छत्री पर बारह महीनो की रागनिया और वाद्ययंत्र भीती चित्रों में दर्शाए गए जो संगीत में इस इलाके की सम्रधता को दर्शाते है . होली पर गिंदर और चंग का विशेस महत्व है यदि इनके साथ मजीरे और बांसुरी की धुन को मिला दिया जाये तब आदमी अपने आप थिरकने लग जाता है ,ग्रामवासी उच्चे टीले पर आग जलाकर आग की लपटों से हवा के रुख का अनुमान लगाते है, .साथ में अनाज भी लेजाते है तथा खलियान निकालने की पर्था को भी निभाते है ,होलिका दहन के
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