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Showing posts from October, 2019

भगतसिंह की डायरी के पन्ने

कोई दुश्मन नहीं?     तुम कहते हो ,तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं ?          अफ़सोस मेरे दोस्त ,इस शेखी में दम नहीं,   जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई में,           जिसे बहादुर लड़ते ही है उसके दुश्मन होते ही है .अगर नहीं है तुम्हारे        तो वह काम ही तुच्छ जो तुमने किया है| तुमने झूठी कसमे खाने वाले होठ से प्याला नही छिना है,       तुमने कभी किसी गलती को ठीक नहीं किया है,तुम कायर ही बने रहे लड़ाई में|      _चार्ल्स मैके,747 एक शहीद की जेल नोटबुक p384

वर्ग संघर्ष और वर्ग सहयोग

नेत्रत्व का पतन ==========         वर्ग संघर्ष और वर्ग सहयोग ,समाज में बदलाव और समाज में सुधारो में,बुनियादी अंतर को नेत्रत्व   नहीं समझ पाते तब वे आखिरी वर्ग सहयोग का हिस्सा बनकर पतन की तरफ ही जाते है .गणेश बेरवाल