मोदी की मन की
बात========कल फिर मोदी मन की बात कहने के बहाने अपने गले को खोला ,हालत एसी लग
रही थी मानो “बिन मोसम की बरसात हो “,जनता जो सुनना चाहती थी वह नहीं था उमीद थी
की क्रसन राधा व् गोपियों के बचाव में आगे
आयेगा. लेकिन एसा लग रहा था की कोप भवन से
निकल कर आया हो ,आते ही अमलची की तरह जोर से खंकार की कई बार एसा भी होता है की
सामने कोई खंकारा कर देता है तब अम्ल उगता नही है सायद यही हालत थी ,उन्होंने दो
बाते उठाई एक रकस्याबंधन एवं किसान .योग तो करवाया लेकिन उसके इतिहास की जानकारी
नहीं दी ,यह तथ्य बताया जाता की योग वेद विरोधी मत है और क्यों सुरु हुआ तब योग के कार्यक्रम की
हवा निकाल जाती ,rksyaabandhnकी बात करे और इतिहास में झांके ,तब पता चलता है
की भारत में कोई भी ब्राह्मन और क्षत्रिय
सम्राट नहीं बना ,इतिहास तीन को ही सम्राट मानता है 1चन्द्रगुप्त मोर्य2अशोक और अकबर अशोक के बाद बराह्मनो और
क्षत्रियों ने राखी बाँध कर जो समझोता किया,उस
पर महाभारत में लिखा है “धींगवल्म क्षत्रियबलम ब्रह्म तेजो बलम बलम बलाबले विनिसिच्त्य तप एवं परम बलम: ;येनबद्दो
बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल्:तेन त्वां प्रतिब्ध्नामी रक्से मा चल मा चल”(विस्तार
से देखना है तब गीता दर्सन एवं सघर्ष –भगवत सरन उपाध्याय देखे )इसलिए इतिहास के
तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर क्या हासिल करना चाहते है ?,दुसरा किसान की बात मोदीजी की
हास्यास्पद है क्युकी मोदीजी उस वर्ग का परतिनिधित्व करते है जो किस्सान की
पैदावार के लुटेरो की जमात है ,अब हालत यह होगयी है की कोई नमाजी आये या ना आये
मुला को तो बांग देनी ही है .
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होली
होली होली की ढेरो सुभकामनाए मिली ,दोस्तों,रिश्तेदारों और परिचितों ने मुझे भी अपनी खुशी में सामिल किया ,मेरा भी फर्ज बनता है की उनका सुक्रिया अदा करू , भारत को प्रक्रति की एक बहुत बड़ी देंन है की यहाँ पर सारे मोसम होते है मोसम का फसल चक्र और शारीरिक बदलाव से भी सम्बन्ध है सिंध से लेकर बिहार तक यह त्यौहार मनाया जाता है ,संचार के साधनों में परगति नहीं हुई थी उस समय तक इस त्यौहार की खुशी एक महीने तक मनाई जाती थी, ,विशेस तोर पर शेखावाटी जहा में रह्ता हु हर मौसम की राग और वाद्ययंत्र यंत्र भीं है ,जहा तक राग माला का सवाल है रामगढ शेखावाटी में रामगोपाल पोदार की छत्री पर बारह महीनो की रागनिया और वाद्ययंत्र भीती चित्रों में दर्शाए गए जो संगीत में इस इलाके की सम्रधता को दर्शाते है . होली पर गिंदर और चंग का विशेस महत्व है यदि इनके साथ मजीरे और बांसुरी की धुन को मिला दिया जाये तब आदमी अपने आप थिरकने लग जाता है ,ग्रामवासी उच्चे टीले पर आग जलाकर आग की लपटों से हवा के रुख का अनुमान लगाते है, .साथ में अनाज भी लेजाते है तथा खलियान निकालने की पर्था को भी निभाते है ,होलिका दहन के
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