बहश-------आज भारत को मानसिक गुलामी से मुक्ति की आवश्यकता है ;इसमें दो पक्ष उभर कर आमने –सामने है ,एक पक्ष भारत की जनता को मानसिक गुलाम रखना चाहता है क्युकी उनके आंका चाहते है की जनता की नजर  हमारे मुनाफे पर नहीं जाए इसलिए मिडिया,(प्रिंट,इलेट्रोनिक )व् तथाकथित बुदिजिवीयो को टुकडा डाल कर पूंछ हिलाने के लिए तेयार कर लिया गया  जिसका जुमा आरएसएस व् कंग्रिसी संगठनो को दे दिया गया ,दुसरा पक्ष अभी निंद्रा में है ,ये लोग इतने चाटुकार और बातूनी है की समस्याओं से ध्यान हटा कर गलत दिशा में बहस को ले गये की  “पशुओ के रिश्ते इंसानों से जोड़ने लग गये ,गाय रूपी पशु को माँ कहने लग गए .यह अकेली नस्ल ही माँ केसे बनी .परिवार के बिना संतानौत्प्ती नहीं होती ,फिर पुरे परिवार की जानकारी दी जानी चाहिए की बाप कोन है भाई कोन है बहन कोन है आदि ,फिर तो आदमी औरत दोनों की जरूरत ही नहीं है भारत में इतने फ़ालतू साधू ,सन्यासी एवं स्यामने फिरते है की बच्चे यही पैदा करले जिससे माँ को दस महीने की तकलीफ सहनी ही ना पड़े .गाय को आवारा बनाने में बीजेपी की मुख्य भूमिका रही है *में राजस्थान में रह रहा हु जहा पशुधन  मुख्य है ,१९७७ में बीजेपी के शा सन में जिसका मुखिया भेरो सिंघजी थे ,ने एक नियम बनाया की कास्तगार तीन साल तक अपने बछड़े को बेच नहीं सकता ,डेरी का दूध  पिने वाले बीजेपी के लोगो को यह पता ही नहीं की वह तीन साल में बछड़ा न रह  कर सांड हो जायेगा गाय तो दूध भी देती है यह तो दूध भी नहीं देगा .यह शब्  संभव नही होने के कारण किसान गाय को  ही अपने घर् से निकाल दिया क्यों की वह अनुपयोगी हो चुकी थी ,आज गोभगत वे ही लोग है जो डेरी का दूध पीते है और सेठो के दान के टुकड़ो पर ज़िंदा है,एन्थ्रोपोलोगी के नियमानुसार  गाय का मानव से करोड़ वर्ष तक कोई रिश्ता नहीं है.

दूसरी बहस चल रही है की आदमी को क्या खाना चाहिये ? आदमी  शा काहारी होगा या मांसहारी ,ये बहस भी बेतुकी तथा आधार हीन है बनस्पति विज्ञान ने बहुत पहले ही यह सिद्ध कर दिया था की #पेड़ पोधो में जीवन होता है ,भारतीय साहित्य में काफी पहले से है की “जीव जीवस्य भोजनम “ लिखा है.आदमी  को ज़िंदा रहने के लिए मरे हुए जिव को खाना ही पडेगा ,इन पाखंडियो में इतनी ही ताकत है तब तो निर्जीव पत्थर होते है क्या उनकी सब्जी बन सकती है ,नही  कदापि नहीं,इसलिए जानवर  केसा हो लाजमी है वह सवस्थ हो ,सब्जी सड़ी हुई ना हो ,मॉस को अपवित्र बताने वालो से में पूछना चाहता हु ,शहद क्या है “मधुमखियो की लेट्रिन {मल]मात्र है ,इसलिए शहद और गोबर से बीफ का मॉस लाख गुना बेहतर है ;आगे जारी =======गणेश  बेरवाल     

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