नरेंद्र मोदी का इंग्लेंड दोरा
12नवम्बर को भारत के प्रधान मंत्री इंग्लेंड के दौर पर गए ,पहले वहा के
मंत्रियो,उच्च अधिकारियो एवं पूजी पतियों से बातचीत की .मोदी व् केमरोंन ने साझा
प्रेस कोंफ्रेंस की और यह संदेस दिया की अब भारत का आगे का विकास इंग्लेड करेगा
,मोदी ने वहा की संसद को भी सम्बोधित किया
, जो देखने व् सुनने को मिला वह यह की हमें इंग्लेड का बड़ा आभारी रहना चाहिए की आज
तक यहाँ पहुचे है वह इंग्लेड की ही देन है .जिन क्षेत्रो में समझोते किये गए है ,किसी रास्त्र होने के नाते उनका क्या
महत्व है ,क्या वे सवेदन सिल है जेसे रक्षा ,दूर संचार ,विधुत ,रेलवे हवाई यात्रा
.
उत्पादन दो तरह का है
,क्रषि और उधोग ,भारत की क्रषि पिछली सरकारों द्वारा जान बुझ कर पिछड़ा रखी
गई कभी यह भी नही सोचा गया की यह पैदावार ही नहीं करती है बल्कि ज्यादातर
देस की जनता को रोजगार भी मुहया कराती है .,सरकारों की निति रहि है की किसान को
इतना ही देवो की वह ज़िंदा रहे ,और उसकी ओलादों
को सरकारे अपनी रक्सा के लिए काम में लेती
रहे ,अन्यथा वह ताकत वर बन गया तब विद्रोह कर देगा ,उन्ही वर्ग के कुछ को खरीद कर
पूंजी का गुलाम और दलाल बना लिया जाए .दुसरा उत्पादन उद्योगों का है उद्योग भी दो तरह के है एक उपभोग सामग्री बनाने
वाले ,दुसरे उपभोग सामग्री के लिए कच्चा माल तेयार करने वाले,आज भारत में तमाम उपभोग
सामग्री विदेसी ही बनाते है सुबह के टूथ बुरस से लेकर रात्री के गुड नाईट तक ,
ईस्ट इंडिया कम्पनी भारत को
तलास करती हुई हथियारों की सोदागर बनकर आई थी और दोसो(२००) वर्ष तक लुटा ,अब
मोदीजी फिर उनको बुलाने के लिए रेड कारपेट बिछा रहे है यह सोचनीय विषय है .टर्की
जिसके घोड़ो की टापों के निसान अब भी भारत
की सर जमी पर है ,
fdi के नाम से विदेसियो को
यह छुट देना की तुम हमारी जमिन खरीद सकते हो .प्राक्रतिक साधनों का दोहन कर सकते
हो ,चाहे जितना मुनाफ़ा कमा सकते हो और अब तो तुम्हारे कारखाने के माल बेचने की लिए
खुदरा दूकान भी खोल सकते हो ,वाह रे मेरे भारत तुम्हारे शरीर पर जख्म तुम्हारी यह
नापाक फिकाप्र्स्त ही देगे और धब्बे कही
खून से ना धोने पड़े , मोदी भारत के वे चन्द लोग जो पेसे के लालच में विदेस में बस गए व् विदेसियो के भरोसे देस को नहीं
चला सकते ,मोदी को चाहिए की वह विदेस में
ही बस जाए तो ज्यादा अछा रहेगा .—गणेश बेरवाल
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